कोरोना के बाद आ रहे ब्लैक फंगस के लक्षण
कोरोना corona से जूझ रही केंद्र सरकार ने अब नई बीमारी म्यूकरमाइकोसिस mukarmicosis यानी ब्लैक फंगस Black fungus से निपटने के लिए कमर कस ली है। दरअसल दुर्लभ किस्म की यह बीमारी कोरोना से उबरे मरीजों में तेजी से पनप रही है। शुरुआती मामले गुजरात और राजस्थान में सामने आए हैं। लेकिन उत्तर भारत में भी अब इसका प्रकोप दिखने लगा है।इस बीमारी से अंधेपन का खतरा रहता।अब तक कई लोग आंखों की रोशनी खो चुके हैं। इसकी दवाएं और इंजेक्शन महंगे होते हैं। कोरोना से रिकवर हो चुके कई लोगों के लिए यह दुर्लभ संक्रमण जानलेवा साबित हो रहा है। मध्य प्रदेश के जबलपुर से महाराष्ट्र के ठाणे तक में इस वजह से लोगों को जान गंवानी पड़ी है तो देश के कई हिस्सों में इसके मरीज मिल रहे हैं। ओडिशा में इसका पहला केस मिला तो दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी नए केस मिले हैं। दिल्ली एम्स में भी ब्लैक फंगस मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाया गया है। ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए दवाओं की किल्लत न हो इसके लिए सरकार ने दवा निर्माता कंपनियों से उत्पादन बढ़ाने को कहा है। रसायन एवं उवर्रक मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार म्यूकर फंगस (काली फफूंद) के कारण होने वाली इस बीमारी से साइनस, दिमाग, आंख और फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है।अंधे होने के साथ मरीज की मौत होने की आशंका भी रहती है।कुछ राज्यों में काली फंगस का प्रकोप बढ़ने से एंफोटेरिसिन बी दवा (इंजेक्शन) की मांग बढ़ गई है। इस मरीज से पीडि़त लोगों के लिए डाक्टर यही दवा लिख रहे हैं। सरकार इस दवा की पर्याप्त उपलब्धता बना रखने के लिए निर्माताओं से इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए चर्चा करने के साथ इसका आयात भी करने जा रही है। राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे सरकारी और निजी अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल एजेंसियों के बीच आपूर्ति के समान वितरण के लिए एक तंत्र स्थापित करें। राज्यों से इस आवंटन से दवा प्राप्त करने के लिए निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए प्वाइंट आफ कांटैक्ट का प्रचार करने का भी अनुरोध किया गया है। आपूर्ति की व्यवस्था की निगरानी राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा की जाएगी।
क्या है ब्लैक फंगस :-भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद के अनुसार, म्यूकर माइकोसिस एक तरह का दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। यह संक्रमण मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर कर रहा है। इस बीमारी में कई के आंखों की रौशनी चली जाती है वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। अगर समय रहते इलाज न मिले तो मरीज की मौत हो सकती है।
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